प्राचीन योगिक शुद्धि क्रियाएं: 6 प्रकार के षट्कर्म से करें शरीर और मन को स्वच्छ!


योगिक शुद्धि क्रियाएं, YOGIC SHUDDHI KIYA

योग के क्षेत्र में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राचीनकाल से ही कई शुद्धिकरण क्रियाओं का अभ्यास किया जाता है। इन क्रियाओं का उद्देश्य केवल शारीरिक स्वच्छता ही नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि भी है। इन शुद्धिकरण क्रियाओं में धौती, बस्ती, नेति, नौली, त्राटक, और कपालभाती प्रमुख हैं। इनका नियमित अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन भी प्रदान करता है।

1. धौती (Dhauti)

धौती एक शारीरिक शुद्धिकरण क्रिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य पेट और आंतों की सफाई करना है। यह प्रक्रिया शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। धौती के विभिन्न प्रकार होते हैं:

1.1. वमनोद्धार (Vaman Dhauti)

वमनोद्धार एक प्रकार की गले और पेट की सफाई का अभ्यास है। इसमें व्यक्ति को गुनगुने पानी का सेवन करना होता है और फिर उसे बलपूर्वक बाहर उगलने की प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया शरीर से गंदगी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।

वमनोद्धार करने की विधि:
  1. सबसे पहले, एक गिलास गुनगुना पानी लें और इसमें थोड़ा सा नमक मिलाएं।
  2. पानी पीने के बाद, हल्का सा व्यायाम करें ताकि शरीर से गर्मी बाहर निकले।
  3. अब, मुंह को खोलें और पेट को दबाते हुए पानी को बाहर उगलने की कोशिश करें।
  4. ध्यान रखें कि यह क्रिया खाली पेट और शांति से करनी चाहिए।

1.2. अचल धौती (Vastra Dhauti)

अचल धौती में एक कपड़े का टुकड़ा गुनगुने पानी में डुबोकर इसे मुंह से निगलकर आंतों तक पहुंचाना और फिर उसे बाहर खींचना होता है।

अचल धौती करने की विधि:
  1. एक लंबा कपड़ा लें और उसे गुनगुने पानी में डुबोकर हल्का गीला करें।
  2. अब इसे मुंह से निगलते हुए पेट में डालें।
  3. धीरे-धीरे कपड़े को बाहर खींचें और पेट की सफाई करें।
  4. इस प्रक्रिया को नियमित रूप से करने से पाचन प्रणाली में सुधार होता है और आंतों में जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।

2. बस्ती (Basti)

बस्ती क्रिया का उद्देश्य आंतों की सफाई करना है। यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक एनीमा है, जो शरीर से अतिरिक्त वायु और कफ को बाहर निकालने का काम करती है। बस्ती से पेट और आंतों की सफाई होती है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार आता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

बस्ती करने की विधि:

  1. एक बर्तन में गुनगुना पानी, आयुर्वेदिक तेल, या हर्बल मिश्रण लें।
  2. अब एक नलिका को गुदा में डालें और धीरे-धीरे मिश्रण को अंदर डालें।
  3. मिश्रण को आंतों में अच्छी तरह से फैलने दें और फिर बाहर निकालें।
  4. यह क्रिया धीरे-धीरे अभ्यास से सीखी जा सकती है। शुरुआत में हल्के मात्रा में पानी डालें और फिर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं।

सावधानियां:

  • बस्ती क्रिया को किसी योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें।
  • यदि आप किसी पेट के रोग से पीड़ित हैं, तो इसे न करें।
  • यह क्रिया केवल सुबह खाली पेट करनी चाहिए।

3. नेति (Neti)

नेति क्रिया नाक से संबंधित शुद्धि क्रिया है, जिसका उद्देश्य नासिका मार्ग से गंदगी, बलगम और प्रदूषक तत्वों को बाहर निकालना है। यह श्वसन प्रणाली को साफ करती है और सांस की नलिकाओं में ताजगी लाती है।

नेति के प्रकार:

  • जल नेति (Jal Neti): इसमें गुनगुने पानी का उपयोग किया जाता है।
  • सूखी नेति (Sookhi Neti): इसमें सूखा नमक या हर्बल मिश्रण का उपयोग किया जाता है।
जल नेति करने की विधि:
  1. सबसे पहले एक बर्तन में गुनगुना पानी लें और उसमें थोड़ा सा नमक मिला लें।
  2. अब, एक नथुने में इस पानी को डालने के लिए एक विशेष नेति पॉट (छोटा बर्तन) का उपयोग करें।
  3. नथुने से पानी दूसरे नथुने से बाहर निकलेगा।
  4. यह प्रक्रिया दोनों नथुनों के लिए करनी चाहिए, जिससे नाक के मार्ग से गंदगी बाहर निकल सके।

सावधानियां:

  • केवल साफ और गुनगुना पानी ही इस्तेमाल करें।
  • यदि नासिका में जलन या सूजन हो, तो इसका अभ्यास न करें।

4. नौली (Nauli)

नौली एक पेट की शुद्धि क्रिया है, जिसमें पेट की मांसपेशियों को नियंत्रित किया जाता है। यह क्रिया आंतरिक अंगों को उत्तेजित करती है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है।

नौली करने की विधि:
  1. सबसे पहले ताड़ासन या उत्थित ताड़ासन में खड़े हो जाएं।
  2. अब, पेट को अंदर की ओर खींचें और फिर इसे बाहर की ओर ढीला करें।
  3. इस प्रक्रिया से पेट की मांसपेशियों की सफाई होती है और ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

सावधानियां:

  • यह क्रिया खाली पेट और शांत वातावरण में करनी चाहिए।
  • शुरुआती अवस्था में इसे किसी योग प्रशिक्षक की निगरानी में करना बेहतर होगा।

5. त्राटक (Trataka)

त्राटक एक मानसिक शुद्धि की क्रिया है, जिसमें किसी बिंदु या वस्तु (जैसे मोमबत्ती की लौ) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह क्रिया मानसिक एकाग्रता, मानसिक शक्ति, और आत्म-नियंत्रण में सुधार करती है।

त्राटक करने की विधि:
  1. एक स्थिर स्थान पर बैठें और सामने एक मोमबत्ती रखें।
  2. मोमबत्ती की लौ पर अपनी आंखों को स्थिर रखें और बिना पलक झपकाए उसे देखें।
  3. जब आंखों में जलन हो, तो आंखों को बंद करें और उस लौ की छवि को अपने मानसिक रूप से देखें।
  4. इसे कुछ मिनटों तक अभ्यास करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

सावधानियां:

  • शांत और अंधेरे स्थान पर इसे करना बेहतर होता है।
  • आंखों में जलन होने पर इसे रोकें।

6. कपालभाती (Kapalbhati)

कपालभाती प्राणायाम की एक प्रमुख क्रिया है, जो श्वास प्रणाली की सफाई करती है और मानसिक शांति को बढ़ावा देती है। यह पाचन क्रिया को मजबूत करती है और ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाती है।

कपालभाती करने की विधि:
  1. सीधे बैठें और पीठ को सीधा रखें।
  2. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे श्वास बाहर छोड़ें, ध्यान रखें कि श्वास छोड़ते समय पेट का संकुचन हो।
  3. इस प्रक्रिया को तेज़ी से करें, जिससे पेट की मांसपेशियों का संकुचन और विस्तार हो।
  4. 10-15 मिनट तक कपालभाती करें।

सावधानियां:

  • कपालभाती को खाली पेट करना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से पीड़ित लोग इसे न करें।

निष्कर्ष:

धौती, बस्ती, नेति, नौली, त्राटक और कपालभाती जैसी शुद्धिकरण क्रियाएं शरीर और मन दोनों की सफाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनका नियमित अभ्यास न केवल शारीरिक स्वच्छता को बढ़ाता है, बल्कि मानसिक संतुलन और शांति भी प्रदान करता है। इन क्रियाओं को सटीक तरीके से और सही समय पर करने से जीवन में ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

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